जब कभी महाभारत की बात होती है तो बीआर चोपड़ा की याद जरूर आती है। ये वही शख्स है जिसने महाभारत को टीवी के माध्यम से घर घर पहुंचाने का काम किया। बीआर चोपड़ा के महाभारत में श्रीकृष्ण की भूमिका निभाई थी नीतीश भारद्वाज ने। नीतीश ने श्रीकृष्ण के स्वरूप को पर्दे पर ऐसे उतारा कि लोग सच में उन्हें भगवान मानने लगे थे। श्रीकृष्ण की शरारतें और उनकी लीलाओं को इस अंदज में पेश किया कि नीतीश दूसरे कलाकारों के लिए मिसाल बन गए। कई लोग उन्हें सच में भगवान मानकर उनके पैर छूते थे।
कम ही लोग जानते हैं कि बचपन से एक्टिंग का शौक रखने वाले नीतीश भारद्वाज ने मुंबई के वेटरनरी कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई की थी। लेकिन मन एक्टिंग में लगता था इसलिए डॉक्टरी पेशा छोड़ दिया था। महाभारत के जरिए लाखों लोगों के दिलों पर अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ने वाले नीतीश ने फिल्मों में भी काम किया है लेकिन उनकी असली पहचान बी.आर. चोपड़ा के ‘महाभारत’ से मिली।
साल 1996 नीतीश के जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। नीतीश ने अभिनय की दुनिया से एक कदम आगे बढ़ते हुए राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया। नीतीश ने बीजेपी के टिकट पर जमशेदपुर से चुनावी रण में उतरे। इस रण में जमशेदपुर की जनता ने उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की तरह मान सम्मान दिया। नीतिश को भी ऐसे स्वागत की उम्मीद नहीं थी। जैसे ही नीतीश ने लौहनगरी में कदम रखा तो सोनारी से बिरसानगर तक उन्हें देखने की होड़ मच गई। महिलाएं उन्हें देखने के लिए आतुर थीं।
किसी ने आरती उतारी, तो कोई उनका पैर छूकर खुद को धन्य मान लिया। हर चौराहे पर नीतीश गीता का श्लोक ‘यदा यदा हि धर्मस्य’ बोल कर अपने समर्थकों में जोश भर रहे थे। चुनाव प्रचार खत्म हुआ, मतदान के दिन जमशेदपुर की जनता ने नीतीश को अपना भगवान मानकर वोट दिया। नीतिश ने दिग्गज नेता और जनता दल के प्रत्याशी इंदर सिंह नामधारी को 55 हजार वोटों से हरा दिया। नीतिश को दो लाख 21 हजार 702 वोट मिले थो जो कि कुल वोटों का 59.2 फीसदी था। चुनावी रण में विजय पताका फहराने के बाद नीतीश सीधे हस्तिनापुर यानी की दिल्ली लौट गए। लेकिन उस दिन के बाद नीतीश कभी लौटकर जमशेदपुर में नहीं गए। इस बात का दुख जमशेदपुर की जनता को आज भी है।